...

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अधखुला दरवाज़ा
आज फिर पुराने मोहल्ले से
गुज़रते हुए नज़रें
उसी दरवाज़े से टकरा गईं ,
जहाँ रहती थी मेरी वो पुरानी पड़ोसन .......
पर अब किसी ने मेरा
नज़रों से अभिवादन न किया
न ही वो मीठी सी मुस्कान बिखेरी
न वो सुर्ख़ आँचल का साया...