मैं और तुम।
मैं हूँ इक कोरा कागज़्
तू है स्याही लिख दे मुझे,
मैं हूँ इक ठहरी सी नदी
तू है गति ले जा मुझे,
मैं साया हूँ मगर धूप में
तू छाया ,छिपा ले मुझे,
अँधेरे मेे हुई गुम हाँ
हूँ इक तितली मैं शोख सी
तू है इक रोशन जुगनू
आ रास्ता दिखा दे मुझे,
मैं हूँ कोई बहकी...
तू है स्याही लिख दे मुझे,
मैं हूँ इक ठहरी सी नदी
तू है गति ले जा मुझे,
मैं साया हूँ मगर धूप में
तू छाया ,छिपा ले मुझे,
अँधेरे मेे हुई गुम हाँ
हूँ इक तितली मैं शोख सी
तू है इक रोशन जुगनू
आ रास्ता दिखा दे मुझे,
मैं हूँ कोई बहकी...