...

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तुम बिन मुझे
तुम बिन मुझे
कुछ भी अच्छा नही लगता
फिर ज़िंदगी का कोई भी पल सच्चा नहीं लगता ।
कितना कुछ है मुझे कहने के लिये
तुम्हें सुनाये बिन फिर दिल नहीं लगता ।
क्यों सिर्फ तुम ही तुम हो नज़र आते
तुमसे बातें किये बिन दिन पूरा नहीं लगता ।
© बावरामन " शाख"