सरस्वती वंदना
हे, मां वाणी! अलख उतरो, पुस्तकों में सभी के ,
तू , हाथों के कलम पर ही, सर्वथा "शाश्वती" हो !
शास्त्रों ,वादों ,कवि-विषय में, जीत ही हो हमारी ,
जिह्वा छोड़ो...
तू , हाथों के कलम पर ही, सर्वथा "शाश्वती" हो !
शास्त्रों ,वादों ,कवि-विषय में, जीत ही हो हमारी ,
जिह्वा छोड़ो...