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Dihadi Majdoor
मेरे गाओं में एक व्यक्ति
के कई रूप थे

वह खेतों में बोता था बादल
और सब की
थालियों में
फसल उगाता था !

वह शादियों में
बन जाता था पनहारा
चीरता था
लकड़ी मरणो पर !

उसके पसीने में
टूटती थी रौशनी
निकलते थे इंद्रधनुष
और उसकी आंसुओ
की बूँद अड़ियल थी
आसमान में जाकर
लगा देती थी
धरती पर सूर्य ग्रहण !

वो बुनता था सबके
सर पर छतें
पर अपने ऊपर टाँकना
पड़ता पड़ता था
रोज उसे नंगा आस्मां !

वो कुँए खोदने वाला
साहसी भी था
और उसी में कूद जाने
वाला कायर भी !

मेरे गाओं में एक व्यक्ति था
© WinterPoetry📝

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