Dihadi Majdoor
मेरे गाओं में एक व्यक्ति
के कई रूप थे
वह खेतों में बोता था बादल
और सब की
थालियों में
फसल उगाता था !
वह शादियों में
बन जाता था पनहारा
चीरता था
लकड़ी मरणो पर !
उसके पसीने में
टूटती थी रौशनी
निकलते...
के कई रूप थे
वह खेतों में बोता था बादल
और सब की
थालियों में
फसल उगाता था !
वह शादियों में
बन जाता था पनहारा
चीरता था
लकड़ी मरणो पर !
उसके पसीने में
टूटती थी रौशनी
निकलते...