बेटी बचाओ
बेटी बचाओ
(My first poem written myself)
मैं भी लेती सांस हूँ,
पत्थर नही इंसान हूँ।
तुझ जैसी ही हूँ,
बस प्यार की भूखी हूँ।
दिया नही कोई मौका,
और न समझा अपना।
बेटी की कीमत पूछो उनसे,
जिनके पास नही है बेटी।
समझते हैं सभी बेटों को ही नेक,
वंश बताना चाहता है हर एक ।
अगर बेटा आन है, तो बेटी शान है।
बेटा तन है, तो बेटी मन है ।
बेटी बिना नही सजता घरौंदा,
बेटी ही है संस्कारों का परिंदा।
जीने का है उसको अधिकार,
बस चाहिए उसको अपनो का प्यार ।
~~~written by :
NAME : CHARU
© All Rights Reserved
(My first poem written myself)
मैं भी लेती सांस हूँ,
पत्थर नही इंसान हूँ।
तुझ जैसी ही हूँ,
बस प्यार की भूखी हूँ।
दिया नही कोई मौका,
और न समझा अपना।
बेटी की कीमत पूछो उनसे,
जिनके पास नही है बेटी।
समझते हैं सभी बेटों को ही नेक,
वंश बताना चाहता है हर एक ।
अगर बेटा आन है, तो बेटी शान है।
बेटा तन है, तो बेटी मन है ।
बेटी बिना नही सजता घरौंदा,
बेटी ही है संस्कारों का परिंदा।
जीने का है उसको अधिकार,
बस चाहिए उसको अपनो का प्यार ।
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