दोस्त हैं वो हमारे
दोस्त हैं वो हमारे जो बिन बुलाए चले आयें।
क्या बना आज खाने में हक़ जताकर खाएँ।।
दोस्त है वो हमारे, जो बिन कहे फर्जी में ही हँसाये।
कितना भी दुःखी हो मन से आकर तब भी सताएँ।।
दोस्त हैं वो हमारे जो, बिन बोले छीन ले जायें।
खुद हो गर जरूरत एक पैर पे दौड़े चले आएं।।
दोस्त हैं वो हमारे जो मौक़ा पाते खिल्ली उड़ाए।
मायूस हुए जरा से भी गर,तो प्यार...
क्या बना आज खाने में हक़ जताकर खाएँ।।
दोस्त है वो हमारे, जो बिन कहे फर्जी में ही हँसाये।
कितना भी दुःखी हो मन से आकर तब भी सताएँ।।
दोस्त हैं वो हमारे जो, बिन बोले छीन ले जायें।
खुद हो गर जरूरत एक पैर पे दौड़े चले आएं।।
दोस्त हैं वो हमारे जो मौक़ा पाते खिल्ली उड़ाए।
मायूस हुए जरा से भी गर,तो प्यार...