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वाह रे इन्सान...
😂😂😂😂😂
वाह रे इंसान...
पहन के इंसानियत का चोला
कहलाते महान,
लूटती इज़्ज़त को खुले आंख देखता,
बच्चे बूढ़े और जवान।
चन्द अपराधियों के आगे नतमस्तक ,
क्यूँ है इंसान?
हर तरफ लूटपाट, बढ़ते अत्याचार,
खुली सड़कों पर होती इज़्ज़त शर्मसार।
कभी जाति तो कभी धर्म के नाम पर,
होता रोज कोई ना कोई कत्ल यहाँ,
चारों तरफ नफरत का बोलबाला है,
क्या इंसानों में बची कुछ अक्ल यहाँ?
कहाँ है संस्कार, कहाँ मर गया स्वाभिमान,
झूठ के मुखौटे पहन जी रहा,
वाह रे इंसान...
क्यों खून में धधकती उबाल नहीं,
क्यों हुक्मरानों से कोई सवाल नहीं?
जुबाँ बन्द है, आंखों पर पट्टी है,
ये शरीर शरीर नही क्या मिट्टी है?
कबतक यूँ ही जुल्म सहते रहेंगे,
नफरत की आंधी में बहते रहेंगे।
आओ अपने अंदर झांके, खुद को जाने,
अपने अंदर छुपी ताक़त को पहचाने।
अजीब हाल है चलन का दौर फिलहाल है,
दोहरी मानसिकता का खेल कमाल है।
एक तरफ थाली और ताली, दूसरे तरफ गाली,
एक तरफ दान पुण्य, दूसरे तरफ कर घर खाली।
छदम की बुनियाद पर बनता महान,
वाह रे इन्सान...
😂😂😂😂😂
#truth#humanity#selfrespect#innerpower#thinkplease
@jindagi
© jindagi
वाह रे इंसान...
पहन के इंसानियत का चोला
कहलाते महान,
लूटती इज़्ज़त को खुले आंख देखता,
बच्चे बूढ़े और जवान।
चन्द अपराधियों के आगे नतमस्तक ,
क्यूँ है इंसान?
हर तरफ लूटपाट, बढ़ते अत्याचार,
खुली सड़कों पर होती इज़्ज़त शर्मसार।
कभी जाति तो कभी धर्म के नाम पर,
होता रोज कोई ना कोई कत्ल यहाँ,
चारों तरफ नफरत का बोलबाला है,
क्या इंसानों में बची कुछ अक्ल यहाँ?
कहाँ है संस्कार, कहाँ मर गया स्वाभिमान,
झूठ के मुखौटे पहन जी रहा,
वाह रे इंसान...
क्यों खून में धधकती उबाल नहीं,
क्यों हुक्मरानों से कोई सवाल नहीं?
जुबाँ बन्द है, आंखों पर पट्टी है,
ये शरीर शरीर नही क्या मिट्टी है?
कबतक यूँ ही जुल्म सहते रहेंगे,
नफरत की आंधी में बहते रहेंगे।
आओ अपने अंदर झांके, खुद को जाने,
अपने अंदर छुपी ताक़त को पहचाने।
अजीब हाल है चलन का दौर फिलहाल है,
दोहरी मानसिकता का खेल कमाल है।
एक तरफ थाली और ताली, दूसरे तरफ गाली,
एक तरफ दान पुण्य, दूसरे तरफ कर घर खाली।
छदम की बुनियाद पर बनता महान,
वाह रे इन्सान...
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#truth#humanity#selfrespect#innerpower#thinkplease
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