...

14 views

तुम ज़िद हो मेरे।
आकर तेरी गली में,
कभी दम अपना मैं तोड़ दूंगी।
ये ज़िद है मेरी,
कभी मर कर भी न छोड़ दूंगी।
समझो न मुझे इतनी बुजदिल,
मैं नहीं हूं।
दीवानी हूं तुम्हारी पर,
नाकाबिल मैं नहीं हूं।
तेरे दिल के साथ कभी,
दिल अपना मैं जोड़ दूंगी।
आकर तेरी .....
सुनकर भी न सुनने की,
आदत है तुम्हारी।
ये आदत ही नहीं बल्कि,
है बड़ी होशियारी।
तेरे रास्ते से कभी,
रास्ता अपना मैं न मोड़ दूंगी।
आकर तेरी....
जीते जी, मर गई मैं,
तेरी हर एक अदा से,
जाकर मांग लूंगी तुझे मैं,
खुदा से।

© ishra