गैर धुली कमीज
गैर धुली कमीज
खुली अलमारी के झोंके से एक आस्तीन बाहर को झांकी
कमीज को लगा जैसे बिखरी किस्मत सिमटी वो बाहर भागी
अलमारी का पल्ला संकुचाया और बंद होते हुए बोल पड़ा
खुदको देख और अपनी खुली सिलवट को तो देख ज़रा
गुजर गया वो दौर जब बचुआ तुमको ही पहना रहता था
करीने से इस्तरी होकर कोबरा के इत्र में महकना रहता था
आस्तीन समेत कर शहर के हर कोने का जायजा लेती...
खुली अलमारी के झोंके से एक आस्तीन बाहर को झांकी
कमीज को लगा जैसे बिखरी किस्मत सिमटी वो बाहर भागी
अलमारी का पल्ला संकुचाया और बंद होते हुए बोल पड़ा
खुदको देख और अपनी खुली सिलवट को तो देख ज़रा
गुजर गया वो दौर जब बचुआ तुमको ही पहना रहता था
करीने से इस्तरी होकर कोबरा के इत्र में महकना रहता था
आस्तीन समेत कर शहर के हर कोने का जायजा लेती...