...

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उम्मीद
निकल तो गया था मैं एक छोटी सी उम्मीद लेकर,
नये रिश्ते को निभाने और पुराने को बचाने का सोच कर,
सोच रहा था कि अगर नहीं गया तो जीना पड़ेगा उन सभी को भुल कर।

नये रिश्ते तो निभा लीये मैंने,
दर्द तो तब हुआ जब पता चला,
की पुराने वाले तो जिंदगी में बहुत आगे बढ़ गए, मेरी यादें समेट कर।

अब उन हजारों बातें जो करनी थी तुमसे, किसके पास जाता लेकर,
बस गई है वो दिल में मेरे, नहीं भुला पाऊंगा उसे मैं, ना ही अंजाने में और ना ही चाह कर।
© kahaanwrites