आ अब लौट चलें
आ अब लौट चलें घर दोबारा
थक कर जीवन की नीरस राहों पर
सह - सह कर जालिम दुनिया के ज़ुल्मो को
उठाये निराशा के बोझ इन हारे कंधों पर
बस थक गए है इन झूठी...
थक कर जीवन की नीरस राहों पर
सह - सह कर जालिम दुनिया के ज़ुल्मो को
उठाये निराशा के बोझ इन हारे कंधों पर
बस थक गए है इन झूठी...