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Ghazal 10: ये प्यार व्यार सरकार हमसे नहीं होगा
ये प्यार व्यार सरकार हमसे नहीं होगा
होगा भी तो बार बार हमसे नहीं होगा

आप कोई और हमसफ़र ढूंढ लीजिए
दीवानों पर ऐतबार हमसे नहीं होगा

इश्क़ तो धंधा है पढ़े लिखे लोगों का
हम गवार ये व्यापार हमसे नहीं होगा

मरके फिर खड़े हो जाएं मरने के लिए
ऐसा हसीं चमत्कार हमसे नहीं होगा

हम हमारी तन्हाइयों में खुश हैं बहुत
महफिलों का इंतज़ार हमसे नहीं होगा

ले जाओ सब जो लाए हो यहां सनम
किसी के नाम पे श्रृंगार हमसे नहीं होगा

ये गुलशन उजड़ा नहीं उजाड़ा गया है
किसी बहार में ये गुलज़ार हमसे नहीं होगा

तुम क्यों दरीचे पे माथा पिटते हो अपना
हमने कहा न तुमसे प्यार हमसे नहीं होगा

ये शहर बदनाम बेवफाओं की वफाओं से
कोई हमारा यहां दिलदार हमसे नहीं होगा

वक्त लगा पुराने तीर को निकालने में
नया कोई आर पार हमसे नहीं होगा

कुलियात हैं ज़ख्म तुम भी लुफ्त उठाओ
रोने धोने में अब इतवार हमसे नहीं होगा

© Pooja Gaur