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आईने की व्यथा
आईना आज,
आंसू बहा रहा है ,
दुख है उसको कि ,
वहशियों की सीरत,
क्यों ना पहचानी उसने,
शायद, बच ही जाती कुछ अबलाऐं,
मासूम सूरत वाले वहशियों से।
या दहेज के ,
लालची दानवों से,
आईना आज,
आंसू बहा रहा है,
क्यों ना दिखा पाया ,वह
असलियत उन समाज के ठेकेदारों की,
जो विधवा आश्रम ,महिला आश्रम की ओट में .
चला रहे हैं चकला घर।
आईना आज आंसू बहा रहा है,
काश, में शापित हो जाऊं,
सूरत की बजाए ,मैं सीरत दिखा पाऊं......
काश......
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