...

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गुलाम - 2
तू कहे तो, इज़हार-ए-इश्क़  भी न करूँ,
ये शायरी, ये गीत, ये गज़ल, ख़तम करूँ,
तेरी नासमझी इश्क़ की, दिल पर ज़ख्म है,
ग़ज़ल न करुँ, मतलब कि मरहम न करूँ।
© Poetryhub4u