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बलशाली वक्त
#जून
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
कौन बनेगा समय का साहु?
वक्त ही बलशाली है,
बाकी नितांत खाली है,
न करिए घमंड मगर कबहुँ।
नाम में क्या रखा है,
अच्छे कर्मों का लेखा है,
सब छोड़ दे संदेश और चहुँ।
पद प्रतिष्ठा मेहमां है,
खुशियाँ बांधती समां हैं,
बतायें ये सभी केतु और राहु।
© Navneet Gill
चार जून की बात है,
उसमें भी कुछ घात है,
कौन बनेगा समय का साहु?
वक्त ही बलशाली है,
बाकी नितांत खाली है,
न करिए घमंड मगर कबहुँ।
नाम में क्या रखा है,
अच्छे कर्मों का लेखा है,
सब छोड़ दे संदेश और चहुँ।
पद प्रतिष्ठा मेहमां है,
खुशियाँ बांधती समां हैं,
बतायें ये सभी केतु और राहु।
© Navneet Gill
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