...

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समझ जाऊंगी
क्यों ज़िन्दगी हमेशा
बिखरी सी होती है
चाहे कितना भी सवारू
टूटी सी लगती हैं,

प्यार जिसको दो
वो दूर चला जाता है,
जिसे चाहा भी ना कभी
वो अपना कहलाता है,

सात साल का प्यार
मिट जाता है शादी ना होने से,
दो पल की सगाई
बना देती है किसी और का मुझे,

किसकी राह तकु
उम्मीद करू किससे,
जिसको दिया सबकुछ
वहीं करता दिलो के हिस्से,

मशरूफ सी अपने इरादों में
चलती है ऐसीही ज़िन्दगी सबकी,
कोई मिला तो सही इनको
ना मिला तो भी फर्क पड़ता नहीं,

सबने आंखे बन्द कर ली है अपनी
मै भी अंधी बन जाऊंगी,
आधी अधूरी समझ ली अब तो
बाकी बची भी समझ जाऊंगी।
बाकी बची भी समझ जाऊंगी।

© drowning angel