...

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बस सपने चन्द....
मैं बादलों के पार तुम्हारे साथ
क्षितिज के पास कभी-कभी
घूम आया करती थी,
परियों की कहानी सुन सुन
मैं भी परियों सी तुमसे मिलने
उड़ जाया करती थी,
बाद में पता चला
ना परियां होती हैं
ना हमारे पंख
ये बंद आंखों के है
बस सपने चंद....
© Madhumita Mani Tripathi