...

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" अस्तित्व "
" अस्तित्व "

जो आपको अथवा आपके अस्तित्व के होने से ठुकरा दे उनके जीवन में गर तो..
उसकी दहलीज़ पर कभी भी ठहरना नहीं..!

किसी के पाँव की जूती अथवा धूल कभी भी बन कर रहना नहीं..!
रिश्ते में आप किसी के दहलीज़ के बाहर पड़े पाँवदान के स्वरूप कभी उसकी जिन्दगी में रहना नहीं..!

घर के अंदर कोई हो तो आप बाहर वाला अथवा वाली कतई बनना नहीं..!
अपनी इज्ज़त और एहमियत करना सीखो..!
इतना ही नहीं सामने वाले के अस्तित्व की भी जरा इज्ज़त करना सीखो..!

जो आपसे प्यार नहीं करता वह आपको अपनी जिंदगी में हमेशा के लिए शामिल नहीं करेगा इतना याद रखना होगा..!
वह आपकी भावनाओं के साथ सिर्फ़
खिलवाड़ करता है..!

आपके साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर के वह व्यक्ति अपने मुंह का जायका बदलने के वास्ते...