...

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Maa
नन्ही सी जान इस दुनिया में आई थी,
तब माँ की दुनिया पुरी हुई थी
ये परिवार , एक प्यारी सी शेजादी ने बनाया था ।

थे हम एक कागज जितने ,
जब माँ ने हमें अपने हातो से उठाया था ।

थे हम एक साल के भी नहीं ,
जब माँ ने हमें अपने आंचल में संवारा था।

जनम लेते ही जो हमारा पहला दोस्त बनता है
आज उसी दोस्ती की इज्जत करना भूल गए है ।

जिन हातो से कभी खाना खाया करते थे ,
आज उन्हीं हातो से थपड खाने लगे है ।

जिस आवाज़ से लोरिया सुनते थे ,
आज उसी आवाज़ से दाट फटकार सुनते है।

जिस माँ की आंखो में कभी चमक हुआ करती थी हमारी हसी देख के ,
आज उन्हीं आंखों में आसूं है हमारे वजह से ।

इतने बड़े हो गए है कि गलत लोगो को दुनिया मानते है ,
और असल दुनिया को गलत मानते है ।

दुनिया दिखाई माँ ने ,
घर संभाला माँ ने ,
रिश्तों की कदर करना सिखाया माँ ने ,
आज यही माँ इतनी पराई हो गई है कि बात करने से पहले हिचकिचाहट होती है ।

उमर और हर बात में बड़ी है हमारी माँ,
पर शायद हम उसकी नज़रों में नहीं है ।

माँ का असली मतलब जानना है , तो
उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं है ।

गर्व से कहते हो ये मेरी माँ है ,
माँ को भी तो मोका दो गर्व से कहने का की ये मेरा बेटा/ बेटी है ।

ऐसे बीज का क्या फायदा जिसको सब देने के बाद भी उसपे सुंदर फूल ना आए ।

बच्चे इतने बड़े हो गए है कि आसमान में खुद को चमकाने की कोशिश कर रे है और चाँद जैसी अपनी माँ को ज़मीन पे फेक आए है ।