...

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"वक्त रहते मां-बाप की कीमत समझो"
वक्त रहते हुए मां-बाप की कीमत समझो,
घर में बैठे हुए भगवान की कीमत समझो।
साथ जब तक रहें मां-बाप जहां है अपना,
नींद सुखचैन के बलिदान की कीमत समझो।
ये न सोचो कि मेरे वास्ते किया है कितना,
उनके दिन-रात के एहसान की कीमत समझो।
अपने सामर्थ्य के अनुसार सभी जीते हैं,
एक निर्धन के दिए दान की कीमत समझो।
प्रेम,कर्तव्य,क्षमा,त्याग,दया,मानवता,
आप इन स्वर्ग के सामान की कीमत समझो।
पेड़ काटो न परिंदों के उजाड़ो घर को,
इस छोटे से गुलिस्तान की कीमत समझो।
आज बोओगे जो कल आप वही काटोगे,
धर्म ग्रंथों में लिखें ज्ञान की कीमत समझो।
कोई बनता हो बड़ा उसको बड़ा रहने दो,
अपनी लघुता भरी पहचान की कीमत समझो।
ये जो चिंगारी है शोलो में बदल देंगे हम,
मेरे संघर्ष के ऐलान की कीमत समझो।
है यही वक्त ज़माने में निखर जा 'पवन'
दिल में उठते हुए तूफान की कीमत समझो।