...

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उसके बिना जीने में क्या रखा है
कहता है दिल उसके बिना जीने में क्या रखा है
और इस बात पर कब से हंगामा बरपा रखा है

ना सुनता है किसी की ना समझता है कुछ भी
मनचला हो गया है आसमाँ सर पे उठा रखा है

इन हालातों ख़यालात की कोई परवाह न इसे
आज मेरे दिल ने ही मुझे दुश्मन बना रखा है

इस अनबन की भनक लगने लगी है सबको
लोग पूछने लगे हैं कि दिल को कहाँ रखा है

आखिर मान गएँ हम इश्क़ के करामातों को
जहा देखो तहां उसने अपना रंग जमा रखा है

प्रियांशु सिंह