सुर्ख़ आंखों में
सुर्ख़ आँखों में थी कुछ बात छुपाये बैठे थे
तेरे आने की हम तो आस लगाए बैठे थे
उनको क्या फ़र्क कि मेरी सांस अभी बाक़ी है
वो तो मेरे मरने की चाहत लगाए...
तेरे आने की हम तो आस लगाए बैठे थे
उनको क्या फ़र्क कि मेरी सांस अभी बाक़ी है
वो तो मेरे मरने की चाहत लगाए...