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आत्म-विश्वास
यार मेरे… ख़ुदसे खुदकी छिपी पहचान पर जोर दिजिए ।
लोगों की इधर-उधर की बातों पे कभी मत गौर किजिए ।।

अक्सर सवाल उन्हीं पर उठते हैं जो कुछ अज़ीम करने की जज्बात रखते हैं ।
फिर बाद में कामयाबी मिलने पर यही लोग खुशियों के सौगात देते फिरते हैं ।।

अच्छा होना या बुरा होना सब मुख़्तलिफ वक्त का ही तकाजा है ।
सब सही होंगे… क्यूँके हौंसले और किरदार परसुकून का मरकजा है ।।

लोगों से परे खुदसे खुदकी रक़िब बनकर जिसने जितनी खुदसे लड़ाई की ।
अपनी बुराइयों से फतह पाकर मानो उसने उतनी मंजिल की चढ़ाई की ।।

© सराफ़त द उम्मीदभरे क़लाम