...

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गिर कर उठना
आज मौसम है ठंडा
मन भी है ठंडा

पुराने पलों में है पड़ा
जहां मैं कभी था खड़ा

जहाँ हंसी के थे रेले
वही आज मन में है मायूसियों के झोले

जहाँ विचारों में थी उन्मादता
वही आज विचारो में है शिथिलता

गिर कर उठना
तूझे ही है सिखना

कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
अपने साहस से तूझे लोगों को मात है देना ।


- अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी -
© Anki