...

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आत्म बल
संकट काल में घिरते हैं जब,
मिलते सभी रास्ते बंद ।
चाह रौशनी की रहती पर,
बढ़ती ही जाती है धुंध ।
सच पूछो तो तभी हमारे ज्ञान चक्षु खुलते हैं,
है कितना बल पौरुष हममें अनुमान तभी करते हैं ।
अंर्तज्योति उर के अंदर तभी प्रज्वलित होती है,
दुर्गम पथ को सुगम बना कर राह हमें दिखलाती है ।
जयश्री राम जय श्री कृष्ण ।
© Nand Gopal Agnihotri