...

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बस चाहती थी वह तेरा संग
नजरे उसे देख ना पाई
ऑखे उसे समज ना पाई
ओठ उसे बोल न पाये
कान उसे  सुन न पाये
    क्या किया था उसने
   बस लगी थी रिश्तो को खुश करने
   आई थी हर दिलो की कहाणीबनने
    मौहब्बत को प्यार मे बरसाने
फिर भी क्यु मिले उसे नफरत  रंग
बस चाहती थी वह तेरा संग
चाहती थी देखलु मुस्कुराकर बस तेरी झालरसे
बस भीग जाऊ तेरे रंगीन घागरे के शावरसे
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samurddhi choradiya