ऐ शेयर हिंद माटी के लाल
ऐ शेयर हिंद माटी के लाल
जिनकी थी बुलंद आवाज़
था बाजुओ में जोर इतना
की गुंज उठा इंकलाब
ले के सरफरोशी की तमन्ना
निकल पडे दोस्तो के साथ
बजा के आजादी का डंका
कर दिया युद्ध का आगाज
करके दांत खंटे अंग्रेजों! के
अदालत में किया महाविनाश
हुई सजा फिर गए जेल में
आजादी की आग लगा के
आजादी की आग लगा के
थे! बैठे भुखे प्यासे अन्नशान पे
फिर भी ना झुके वो अंग्रेजों! के आगे
एक रोज करके बेइमानी अंग्रेजों
ने 23 मार्च की रात चुनी
करके एलान फांसी। का
देखो कायरता की चाल चली।
आंखो में तेज देख वीरो का ऐसी मतवाली चाल चली
फिर करके इंकलाब का नारा बुलंद
फिर फांसी।की रस्सी चुम्मी
मानो जैसे। था खेल कोई.
( भगत सिंह, सुखदेव ,राजगुरु )
© karmaarth
जिनकी थी बुलंद आवाज़
था बाजुओ में जोर इतना
की गुंज उठा इंकलाब
ले के सरफरोशी की तमन्ना
निकल पडे दोस्तो के साथ
बजा के आजादी का डंका
कर दिया युद्ध का आगाज
करके दांत खंटे अंग्रेजों! के
अदालत में किया महाविनाश
हुई सजा फिर गए जेल में
आजादी की आग लगा के
आजादी की आग लगा के
थे! बैठे भुखे प्यासे अन्नशान पे
फिर भी ना झुके वो अंग्रेजों! के आगे
एक रोज करके बेइमानी अंग्रेजों
ने 23 मार्च की रात चुनी
करके एलान फांसी। का
देखो कायरता की चाल चली।
आंखो में तेज देख वीरो का ऐसी मतवाली चाल चली
फिर करके इंकलाब का नारा बुलंद
फिर फांसी।की रस्सी चुम्मी
मानो जैसे। था खेल कोई.
( भगत सिंह, सुखदेव ,राजगुरु )
© karmaarth