...

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ना पूछिए...
अब गुजर रही है कैसी, याँ हमारी ना पूछिए
उस माहजबीन से मेरी यारी ना पूछिए..

कब शाम ढली ,रात कब, फ़िर कब सहर हुई
उनके सोहबत में रतजगे...