कुछ ऐसे हो तुम ।।।
कागज़ की कस्ती में लिखदुं ,
या लोगों की किसी बस्ती में कहदुं,
आसमां के तारों पे लिखदुं,
या चांद के उस नूर से कहदुं,
........ये की .......
चमचमाती ओस की बूंदों सा है तु,
खिलखिलाती धुप की किरणों सा...
या लोगों की किसी बस्ती में कहदुं,
आसमां के तारों पे लिखदुं,
या चांद के उस नूर से कहदुं,
........ये की .......
चमचमाती ओस की बूंदों सा है तु,
खिलखिलाती धुप की किरणों सा...