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महा शिवरात्रि
क्यों पहनी सर्पों की माला
ओढ़े रहे बस यूँ मृगछाला
गरल भँयकंर गले में डाला
गंगा को जटा में सम्भाला
भांग धतूरे का सेवन
त्रिनेत्र से काम दहन
चन्द्रमा का नित नमन
पौरुष के प्रतीक गहन
सभी सिद्धियों का संग
भूत प्रेत नही करते तंग
न महल न रथ न धन
पर करते देवता स्तवन
समस्त नृत्यों के गुरू
ताण्डव से प्रलय शुरू
भोले भाले है महादेव
भक्तों पर परम कृपालु
डमरू और त्रिशूल हाथ
रण या प्रणय ताल साथ
आदि योगी आदि पुरूष
निर्विकार निश्चल नटराज
कृष्ण ने गीता को कहा
शिव ने पल पल जिया
जगत मिथ्या मोह माया
शक्ति से ही विवाह किया
🙏🙏सलिल
महा शिवरात्रि पर शिव कृपा रहे
ओढ़े रहे बस यूँ मृगछाला
गरल भँयकंर गले में डाला
गंगा को जटा में सम्भाला
भांग धतूरे का सेवन
त्रिनेत्र से काम दहन
चन्द्रमा का नित नमन
पौरुष के प्रतीक गहन
सभी सिद्धियों का संग
भूत प्रेत नही करते तंग
न महल न रथ न धन
पर करते देवता स्तवन
समस्त नृत्यों के गुरू
ताण्डव से प्रलय शुरू
भोले भाले है महादेव
भक्तों पर परम कृपालु
डमरू और त्रिशूल हाथ
रण या प्रणय ताल साथ
आदि योगी आदि पुरूष
निर्विकार निश्चल नटराज
कृष्ण ने गीता को कहा
शिव ने पल पल जिया
जगत मिथ्या मोह माया
शक्ति से ही विवाह किया
🙏🙏सलिल
महा शिवरात्रि पर शिव कृपा रहे
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