...

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Nirasa
बस निराशा भरी ,कोई आशा नहीं ,
थक गया है ये मन ,थक रहा है तन ,
सूझता कुछ नही ,राह मुश्किल भरी ,
छोड़कर जाने का वक़्त क्या ये सही ?

सोचता हूँ कभी उनके बारे में मै ,
जिनकी आशाओं का एक सागर हूँ मै ,
दिल धड़कता है फिर जोर से एक बार ,
रुकजा जल्दी न कर ,फिर संभल मेरे यार ,
कुछ न कर तू भला ,बस रहे तू खड़ा ,
उनकी आँखों का मंजर यूँ रोशन रहे ,
तेरे जाने का सदमा उठाएगा क्या ,जो ह्रदय तेरे खातिर ही जीते रहे।

© Navneet Kumar mishra #Love&love! #broken #brokenheart