...

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कच्चे इंसान
कहाँ की बात कहाँ ले जायेँ
ये इंसान हैं कच्चे बस बहते जाये,
कोई भी जल धारा समेटे इन्हें
कोई भी हवा साथ उड़ा कर ले जाये,
ये इंसान हैं कच्चे बस बहते जायेँ,
तेज़ शौर का वेग हैं ये एक जगह
कब टिक पाएं,
इधर उधर ढूंढो इन्हें तुम मगर ये
नज़र न आएं,
ये इंसान हैं कच्चे बस बहते जाये,
लाख कोशिश करलो चाहे, चाहे
हंगामा मचालो,
रत्ती भर भी फ़र्क न पड़ता ये खुद
ही समझायें,
ये इंसान हैं कच्चे बस बहते जाएँ,
रोकना चाहो कितना तुम कुछ न
कर पाओगे,
देख कर हौसला इनका एक दिन
डर जाओगे,
फिर भी ये इंसान हैं कच्चे
बस बहते जाये,
अपनी मर्जी के आगे खुद भी
न टिक पाएं,
ये इंसान हैं कच्चे बस बहते जाएँ!!!¡

© sangeeta ki diary