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हुआ जो समझ नहीं आ पाया .....प्यार को बदनाम लिखूं अपनो से हारी... पार्थना महाकाल से
हुआ जो समझ नहीं आ पाया .....प्यार को बदनाम लिखूं अपनो से हारी...करो बार बार हज़ार बार पार्थना महाकाल से सभी कि दुआ मांगी मिल जाए जुडा ना हो अपने मन मीत से करो खुद दुआ आरो करे।।

साथी कड़ियां जोड़कर देखा हासिल कर मिलना होगा
हमारे नसीब में तेरा मेरा साथ
पर कुछ बातों से
मतलबी बन गई हो मैं
अपनो का वादों कासमों इज़्ज़त का हवाला दे कर मजबूर जान कि धमकी खुद की बना हटियार अपने जन्म देने से अब तक जो किया माग जुदाई तेरे मेरे प्यार कि????????
दे हो गई जुडा खुद से ख़ुद को
बन तेरी दोषी करार कर सब
दफना दिया खुद को साबित कर दिया बेवफ़ा हों
अपनो ने जो मागा बिदा कर घर चलने लगी सबसे दूर ऋण चुका कर बेटी थी इसलिए ना मिला कंधा अपने सफ़र का ना हो सका अपने जो समझ मुझे
जिस से साथ निभा पर सब ख़ामोश इल्तिज़ा में
एक बार फिर दिल चाहता है मिलो उससे पर हक छीन लिया अपनो ने
आह 💔💔💔💔😭😭😭😭

बुझ गई लो मेरे अंदर कि अब

करो प्राथना महाकाल से रखना हाथ उस पर मिले मुझसे भी अच्छी ज्यादा प्यार करने वाली
करना जो करे सच्चे दिल से निस्वार्थ भाव निर्मल प्रेम एक दूसरे से अलग ना हो कर विवाह
हो परिवार समझ सामिल हो खुशियां मैं दे चार गुना ज्यादा प्यार खुशी।

बबिता कुमारी
© story writing