मैं!!!
कभी ज्ञान तरंग का दिनकर भी,
कभी अज्ञान निशा का श्यामत्व हूं मैं।
अद्वैत सरोवर के सत्य में पुष्पित
द्वैत जलज सा भ्रम भी मैं।
कभी मूक केंद्र में स्थित भी,
कभी स्वयं ध्वनि का स्त्रोत हूं मैं।
कभी ब्रह्म शब्द की...
कभी अज्ञान निशा का श्यामत्व हूं मैं।
अद्वैत सरोवर के सत्य में पुष्पित
द्वैत जलज सा भ्रम भी मैं।
कभी मूक केंद्र में स्थित भी,
कभी स्वयं ध्वनि का स्त्रोत हूं मैं।
कभी ब्रह्म शब्द की...