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फ़िक्र की आग
फ़िक्र की आग में पिघलकर देखो फिर तरखय्युल ए ग़ज़ल में ढल कर देखो। खुद ब खुद तुमको हर अहसास होगा राह पर कांटो भरी ज़रा चलकर देखो।। यूं तो हर शख्स है चाहत में लेकिन बात तब है के तुम ज़रा संभलकर देखो।।। दूसरों का दिल तो जलाना है आसान बहुत जिंदगी में खुद इक बार ज़रा जलकर देखो।।।। राह दुश्वार सही लेकिन यकीं कामिल रखकर कैस " इक बार मंजिल की तरफ निकलकर देखो।।।।
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