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हमारे जीवन की अतरंगी दुनिया
क्या खूब ज़िन्दगी को लिखा है उसने,
हर मोड़ पर रोज़ नई यादों का एहसास करवाता है ये,
अपने सपनों के खातिर वो,
रोज़ मेहनत को सजाते है वो,
नई ख्वाहिश को सजाने के लिए,
क्या-क्या नहीं किया है उसने,
एक पल अपनों के साथ बिताने,
न वक़्त मिला है उसे ज़िन्दगी से,
न कुछ कर पाने की सोच,
ठान लिया जो गलत उसने,
खो दिए जो आत्मविश्वास उसने,
बिखर गए अब सपने उसके,
देखो न तुम दूसरो को अब,
कमजोर पड़ो न खुद पर अब,
ऐसी अतरंगी दुनिया को,
जियो हमेशा हर एक पल,
कभी दुखी, तो कभी खुशी,
हर रोज़ तुम्हारे जीवन में आएगा,
एक पल खुद को महसूस अकेलापन,
जीवन में तुम्हारे जरूर आएगा,
न पड़ना कभी कमजोर तुम,
क्योंकि ये ज़िन्दगी अतरंगी है,
हर रूप देखने को मिलेगा तुम्हें,
जब से कदम रखा इस दुनिया में,
जियो ज़िन्दगी को खुलेमन से,
की हर एक लम्हा दिल मे सजाते जाओ,
अतरंगी से बनी इस दुनिया को,
अपनी यादों को दिल मे सजाते जायो।



© Srishti Morya