...

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नया दौर ।।
*तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है,

और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है //

*ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है //

तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है //

*थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते //

तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है।

*गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास !!

तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है //

*मौन* होकर *फोन* पर...