मूक
शाम-ए-महफिलों में जब
कोई नाम पुकारता है मेरा
पता नही क्यूँ लेकिन
दिल सहम जाता है मेरा
वैसे तो कागज़ पर हुनर
काफी दिखा है मेरा
वही हुनर लेकिन ज़ुबां पर
साथ नही देता मेरा
एक गूँगे...
कोई नाम पुकारता है मेरा
पता नही क्यूँ लेकिन
दिल सहम जाता है मेरा
वैसे तो कागज़ पर हुनर
काफी दिखा है मेरा
वही हुनर लेकिन ज़ुबां पर
साथ नही देता मेरा
एक गूँगे...