...

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और फिर
क्या लिखूँ , बाते वही की वही जो ठहरी.....
और फिर लफ़्ज़ों का क्या कसूर जो है इतनी गहरी...
क्या लिखूँ , बाते वही की वही जो ठहरी.....

© Shandilya 'स्पर्श'
#मनः