दिल के अल्फाज
इतना पास आ के भला, अब ये झिझकना कैसा ?
साथ निकले हैं तो फिर, राह में थकना कैसा ?
मेरे आँगन को भी ख़ुश्बू का, कोई झोंका दे
सूने जंगल में ये फूलों का, महकना कैसा ?
रौशनी दी है तो, सूरज की तरह दे...
साथ निकले हैं तो फिर, राह में थकना कैसा ?
मेरे आँगन को भी ख़ुश्बू का, कोई झोंका दे
सूने जंगल में ये फूलों का, महकना कैसा ?
रौशनी दी है तो, सूरज की तरह दे...