मन
जब आग लगी हो सीने में ।
तो धुंआ क्यू नही उठता है ।
जब दर्द भरा हो अंतर्मन ।
आंखो तक क्यू नही आता है ।
मैं सोच रही मैं समझ रही है ।
ये जीवन ही एक झंझट है ।
या झंझट में ही जीवन है ।
मैं समझ गई मैं सुलझ गई।
सब बातो का ही झमेला है ।
बातो से ही सब अपना है ।
बातो से ही सब...
तो धुंआ क्यू नही उठता है ।
जब दर्द भरा हो अंतर्मन ।
आंखो तक क्यू नही आता है ।
मैं सोच रही मैं समझ रही है ।
ये जीवन ही एक झंझट है ।
या झंझट में ही जीवन है ।
मैं समझ गई मैं सुलझ गई।
सब बातो का ही झमेला है ।
बातो से ही सब अपना है ।
बातो से ही सब...