ग़ज़ल
मुझ को किस शख़्स का ख़्याल आया
क्यूँ गला एक दम से भर्राया
सच्चा इंसान बनना चाहूँगा
मैं अगर ज़िन्दगी में बन पाया
तुझ को खो कर मिला है चैन मुझे
मर के बीमार को सुकूँ आया
अपने पेड़ों का दिल दुखाया था
मुझ को सूरज ने ख़ूब...
क्यूँ गला एक दम से भर्राया
सच्चा इंसान बनना चाहूँगा
मैं अगर ज़िन्दगी में बन पाया
तुझ को खो कर मिला है चैन मुझे
मर के बीमार को सुकूँ आया
अपने पेड़ों का दिल दुखाया था
मुझ को सूरज ने ख़ूब...