...

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ग़ज़ल-250/2022
जब हुई शाम, उठ गया पर्दा
हो गई जब सहर, गिरा पर्दा
थी कहानी ही बस पुरानी मगर
था तमाशा नया, नया पर्दा

साथ किरदार के वो रोया भी
साथ उसी के ही खुश हुआ...