प्रेम क्या है
प्रेम क्या है,,,,
दो लोग कभी एक जैसे नहीं होते हैं
जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार कर लेना
बदलने की खींचातानी में या तो तुम टूटोगे
या फिर वो,,,,
और प्रेम में कब कोई एक दूसरे के अनुरूप
ढलता चला गया पता ही नहीं चलेगा
जरूरत है सब्र की प्रतीक्षा की
प्रेम है तो प्रतीक्षा भी होगी
लेकिन महज़ आकर्षण है
तो...
दो लोग कभी एक जैसे नहीं होते हैं
जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकार कर लेना
बदलने की खींचातानी में या तो तुम टूटोगे
या फिर वो,,,,
और प्रेम में कब कोई एक दूसरे के अनुरूप
ढलता चला गया पता ही नहीं चलेगा
जरूरत है सब्र की प्रतीक्षा की
प्रेम है तो प्रतीक्षा भी होगी
लेकिन महज़ आकर्षण है
तो...