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क्या रखा हदों में
देर क्यों लगा दी
तुमने पास आने में,
कितनी सर्द लगी है
दिल को,
इस धूप भरे फसाने में,
क्या कमी रह गई थी
तुम्हें ये एहसास दिलाने में
कि तुम मेरी पसंद हो
इस बेपरवाह जमाने में ,
हदों में रह कर भी
,क्या जाना हमने
क्या रखा है यहां,
किसी का दिल दुखाने में
हैं मोहब्बत
तो ज़ाहिर किया करो
हद से बढ़ कर कभी
दिल की सरहदों पर मिलो,
बहुत नसीबी है तुम्हारी
किसी की मोहब्बत पाने में
जिंदगी लग जाती है यहां
रिश्तों को निभाने में
~शैली { स्वरचित पंक्तियां }
© @sanguineshaili
तुमने पास आने में,
कितनी सर्द लगी है
दिल को,
इस धूप भरे फसाने में,
क्या कमी रह गई थी
तुम्हें ये एहसास दिलाने में
कि तुम मेरी पसंद हो
इस बेपरवाह जमाने में ,
हदों में रह कर भी
,क्या जाना हमने
क्या रखा है यहां,
किसी का दिल दुखाने में
हैं मोहब्बत
तो ज़ाहिर किया करो
हद से बढ़ कर कभी
दिल की सरहदों पर मिलो,
बहुत नसीबी है तुम्हारी
किसी की मोहब्बत पाने में
जिंदगी लग जाती है यहां
रिश्तों को निभाने में
~शैली { स्वरचित पंक्तियां }
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