वक़्त की लकीरें
वक़्त की कलम चलती रही
चेहरे पर लकीरें खिंचती रही
कुदरत के इस करिश्मे से बेखबर
मोह माया और रिश्तों के बंधन में
मैं बंधती रही,उलझती रही
वक़्त का पहिया घूमता रहा
मै भी साथ...
चेहरे पर लकीरें खिंचती रही
कुदरत के इस करिश्मे से बेखबर
मोह माया और रिश्तों के बंधन में
मैं बंधती रही,उलझती रही
वक़्त का पहिया घूमता रहा
मै भी साथ...