...

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जक्यां माॅंय सपना भर्यां हा, बा आंख्यां नै पाणी देगी
बा म्हानै सोना सा दिन दिया, पछ रात चाँदी देगी।
चाँद, तारा, सूरज, जुगनू, बा सौख्यूं जुबानी देगी।

जाती जाती म्हारा मन पर, कांईं बेरो कांईं लिख्यो,
ई जलम मं पूरी कोनी हुणी, बा असी कहाणी देगी।

बीका सौदा माॅंय थानै, अन्याय कठे सी लाग्य़ो बता,
बा थानै एक निशाणी देगी, और एक निशाणी लेगी।

सिर ढकल्यो या पग लखोल्यो, एक काम ही होसी,
ई टेम तो एकर ओजूं म्हानै, बा चादर पुराणी देगी।

बा नदी ही यार छगन, अडवार कियाँ सी लागै बता,
आ के कम है थारा मन री मांटी , सागर तांणीं लेगी।

© छगन सिंह जेरठी
© छगन सिंह राजस्थानी