वापस आओगे ना..?
आओगे ना....!!
एक सवाल पनपता है मन में सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक,
"तुम वापस आओगे क्या"?
मेरे मन के मंदिर में मैंने एक दीप जलाया है कि तुम मुझे यूं तो नहीं,
भूल जाओगे और वापस आओगे।
कब तक उन पुराने Messages को पढ़ कर दिल को सुकून देती रहूंगी,
कब तक खुद को तेरे ख्यालों से मोड़ती रहूंगी।
और तेरी खयाल भी आवारा-शाम से हो गए है,
एक पल ठहर के एक खूबसूरत सा एहसास देकर,
कब ढल जाते है पता ही नहीं चलता।
खुद को काम के उलझनों में...
एक सवाल पनपता है मन में सुबह उठने से लेकर रात के सोने तक,
"तुम वापस आओगे क्या"?
मेरे मन के मंदिर में मैंने एक दीप जलाया है कि तुम मुझे यूं तो नहीं,
भूल जाओगे और वापस आओगे।
कब तक उन पुराने Messages को पढ़ कर दिल को सुकून देती रहूंगी,
कब तक खुद को तेरे ख्यालों से मोड़ती रहूंगी।
और तेरी खयाल भी आवारा-शाम से हो गए है,
एक पल ठहर के एक खूबसूरत सा एहसास देकर,
कब ढल जाते है पता ही नहीं चलता।
खुद को काम के उलझनों में...