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स्मृतियाँ शेष तुम्हारी
स्मृतियां शेष तुम्हारी=
बस स्मृतियाँ रह गयीं शेष
तुम चले गए कौन से देश
उंगली पकड़ चलाया होगा
प्यार भी खूब दिखाया होगा
कुछ भी याद नहीं आता है
स्मृतियाँ जिनमें न छाया है
मां बतलाती गई वे बातें
जो पसंद थीं तुमको बातें
समाज भी परिवार समझा
भरी थी ऐसी सामाजिकता
कभी ये स्मृतियां चुभती हैं
जब हवा सी वे दिखती हैं
मुझे विश्वास है मेरे साथ हो
दूर हो चाहे न मेरे पास हो
मां तुम्हारी बात बताती थी
बताना क्या पाठ पढ़ाती थी
चांद में देखूं तारों में देखूँ
फिर भी सुकूँ नहीं पाती हूं
दीवारें हों कितनी ऊंची
नींव तुम्ही को पाती हूं
परहित सदा तुमने सोचा
पर वक्त ने दे दिया धोखा
वे सब स्मृतियां कैसी हैं
जो घटनाएं नहीं देखी मैंने
उदारता दयालुता खूब...